जहां कहीं भी देखिए लंबी क़तार है
लाचार है व्यवस्था शासन बिमार है
जनहित के मुद्दे सभी पांव पैदल हैं
धार्मिक उन्माद अब रथ पर सवार है
लोकतंत्र दिखता नहीं आजकल कहीं
कह रहे थे एक कवि शायद बुख़ार है
पूछ रहे हैं आप कि शासन ने क्या किया?
विश्व गुरु में आपका भारत शुमार है
आप अगर सरकारी मेहमान हुए हैं
सरकार का ये आपके प्रति दुलार है
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