वो ‘चांद’ फिर से...'s image
161K

वो ‘चांद’ फिर से...

अधूरे चांद को देखकर

कभी-कभी लगता है,

रिश्ते भी अक्सर, ऐसे ही अधूरे रहते हैं?

और फिर कभी कभार, यूं ही,

हो जाते हैं पूरे,

उस चांद की तरह।


फिर अचानक ही,

जिंदगी के पूरे अंबर पर,

वो अलग दिखाई देते हैं,

रिश्ते....

फिर शुरू होता है, वो सफर

रिश्त

Tag: poetry और2 अन्य
Read More! Earn More! Learn More!