![कृष्ण ही जाने मन की माया's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40nitin-kr-harit/None/InCollage_20221112_192951468_13-11-2022_12-39-32-PM.png)
"मन ही गाये, मन ही झूमे, मन ही हंसे और मन ही रोय,
आठों पहर ये दौड़े भागे, ये ना थके और ये ना सोय,
मन के संबंधों पर समझ ले, मन का पूरा पहरा होय,
तन की जाने हैं बहुतेरे, मन की जाने कोय कोय।
ये ना दिखे पर सबको देखे, मन ने कैसा खेल रचाया,
सौ सौ तन से युद्ध करे जो, एक मन के आगे घबराया,
लाख जतन कर कर के हारा, मन को लेकिन जीत ना पाया"
"जान हरित इस भ्रम के जग में, सबसे भयावह मन की माया"
"हे केशव, इतना बतलाओ, मैं, मन दोनों भिन्न
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