
जीवन नहीं मरा करते हैं, जीवन के मर जाने से,
निशा ढलेगी सूर्य उगेगा, क्या होगा घबराने से।
काया मिट्टी मिटती जाय, क्षण क्षण बदले देख हरित,
आत्म ना किंचित शोक मनाए तन के आने जाने से।
जीत गए तो मृ
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जीवन नहीं मरा करते हैं, जीवन के मर जाने से,
निशा ढलेगी सूर्य उगेगा, क्या होगा घबराने से।
काया मिट्टी मिटती जाय, क्षण क्षण बदले देख हरित,
आत्म ना किंचित शोक मनाए तन के आने जाने से।
जीत गए तो मृ