
" दुर्गा स्तुति "
कभी शुभ्र तुम, कभी यामिनी,
कभी उग्र तुम, कभी दामिनी।
तुम चंद्रिका, तुम चंचला,
तुम चंडिका, तुम स्वामिनी ।।
कभी मुग्ध तुम, कभी क्रुद्ध तुम,
कभी हो दया, कभी युद्ध तुम ।
कभी निर्झरा, कात्यायनी,
हर रूप में अति शुद्ध तुम ।।
अति रौद्र हो, हे शिव प्रिया,
नारायणी, चित्रा, जया ।
<Read More! Earn More! Learn More!