
'बेपेंदी के लोटे'
एक ही मुंह से बोलते, तरह तरह के बोल,
कलयुग के ये आदमी, बन बैठे हैं ढोल,
बन बैठे हैं ढोल, छोड़ दी सब मर्यादा,
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'बेपेंदी के लोटे'
एक ही मुंह से बोलते, तरह तरह के बोल,
कलयुग के ये आदमी, बन बैठे हैं ढोल,
बन बैठे हैं ढोल, छोड़ दी सब मर्यादा,