
मैं तन्हा, तुम भी तन्हा,
ज़िंदगी तन्हाईयों की मोहताज़ हो गई।
जो सोचा था चलें दूर इस सन्नाटे से,
सूखे आसमाँ में फिर बरसात हो गई।
हर मोड़ पे खामोशी ने आवाज़ दी,
हर गली में यादों की बारात हो गई।
छूना चाह
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मैं तन्हा, तुम भी तन्हा,
ज़िंदगी तन्हाईयों की मोहताज़ हो गई।
जो सोचा था चलें दूर इस सन्नाटे से,
सूखे आसमाँ में फिर बरसात हो गई।
हर मोड़ पे खामोशी ने आवाज़ दी,
हर गली में यादों की बारात हो गई।
छूना चाह