![छलकता ज़ाम's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40nitesh-sharma/None/A5738120-91CA-40D6-9BCE-09A93FAE860D_29-12-2022_21-42-20-PM.jpeg)
बहुत मिला पीने को दर्दोंगम के आंसू,
अब एक छलकता ज़ाम चाहिए।
ग्लास भर से उतरेगा न चेहरा
उस मगरुर का मेरी आंखों से,
पीने को मयखाना तमाम चाहिए।
चाहिए थी जो वो जिंदगी न मिली,
मिली है जो, जिंदगी नहीं सजा है।
पूछा खुदा से क्यों दी ऐसी जिंदगी,
ख़ामोश ह
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