
शहर मेरे तू मेरी मुहब्बत, तू है मेरी जान,
गंगा-जमुनी आन-बान की तू सच्ची पहचान।
शहर-छावनी में सोया है, सदियों का इतिहास,
महाभारत से जंग-ए आज़ादी तक का अहसास,
सन सत्तावन की क्रान्ति की, तूने छेड़ी तान।
हिन्दी -उर्दू के लफ़्ज़ों में, तेरी महक समाई,
मन्त्र-अजानें-गुरूबानियाँ, तूने सदा सुनाईं,
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