
लाल-लाल से बादल ऊपर,
और नीचे धानी सी चादर,
दूर क्षितिज पर ढलता सूरज,
क्या कहता है हौले-हौले।
आओ मन की परतें खोलें।
जिनका जीवन है पहाड़ सा,
पर चेहरों पर मुस्कानें हैं,
उन मुस्कानों की मिठास को,
आओ अपने संग संजो लें।
आओ मन की परतें खोलें।
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