
् जय जयकार सनातन
(लेखक-नीरज शर्मा)
मैं सनातन,मेरा धर्म सनातन,रोम रोम मे बसा सनातन,विश्व का है आधार सनातन,पहली सभ्यता धर्म सनातन,सब धर्मों का है धर्म सनातन।
जहां पत्थर में श्रीराम दिखें,गऊ को माता का मान मिले, जहां श्री भगवत गीता का ज्ञान मिले, जहां जीवन का सिद्धांत मिले,वही कहलाए धर्म सनातन।
तीनों देवों की शक्ति सनातन, भगवती दुर्गा का तेज सनातन,ना सहता ना करता जुल्म सनातन, हर यज्ञ हवन का पारितोषिक सनातन।
श्री तीर्थ
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