..............."यादें "..............
ये यादें भी क्या..ब-कमाल चीज़
होती हैं
वक़्त आते ही... लव्ज़ों में बयां होती हैं...
इंसा की फितरत... पहचानने की देर नहीं!!
उसका पसंददीदा.. पिटारा सा..खोल देती हैं.
इक अजब करिश्माई है... सालों से दफन यादों की..
दिल के इशारों पे... ख्यालों को जुबां देती हैं.
सामना होता है जब खुद से...कभी तन्हाई में..
कभी ग़म.. कभी खुशियों.. को सदा.. देती हैं.
धुँधली लकीरों से खिंचें दायरे...मल्हार सी महक़ लाते हैं,
अव्वल आने की होड़ में.. हर ओर छिटक जाते हैं...
तब हौले से.. दस्तक देता है.. दिल के दरवाजे पे कोई,
और हादसों के सिलसिले.. बे-तरतीब से बिखर जाते हैं.
न किसी कागज़ ,न किसी पन्ने पे छपे किस्से हैं...
न किसी किताब... किसी कहानी के कोई हिस्से हैं...
दिल की गहराईयों में...करीनेवार... दबे रहते हैं
वक़्त आते ही... गुलाबी इत्र सी..खुशबू ले आते हैं.
बरसों बीत गये... पर यादें आज भी ताज़ा हैं..
लगता है यूँ... कल से किया खुद का कोई वादा है,
जि
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