
लो मौसम आ गया..फिर रंगों के इस त्यौहार का,
फिर हवाओं में मदहोशी.. फ़िजाओं में रंग बहार का.
सराबोर दिखते हैं लोग..रंग-बिरंगे लिबासों में
गलियारे गूँजते हैं फिर से...तीखी-मीठी आवाजों में...
रंग फाग के... हर ओर दमकते दिखाई देते हैं ,
गुलाल अबीर भी...आज गुलजार..दिखाई देते हैं.
होली तो बस सबसे..मिलने..का इक बहाना है
रूठे अपनों को..फिर से..गले लगाना है ,
रंग प्रेम के...हर ओर छिटक जायेंगे...
पल उल्लास
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