"सम्मान "
सृष्टि में कुछ ऐसे भी जीव हैं....जो वास्तव में हैं तो सम्मान के
योग्य परन्तु.... शायद उतने सम्मनित नहीं हैं.... याद है बचपन में पढ़ी ... "thirsty crow" की कहानी....किस बुद्धिमानी से कौआ.. जल को ऊपर करने में सफल हुआ और जल पिया.....और अपनी
चतुराई का परिचय भी दिया...
यूँ तो कौआ एक धूर्त, चालाक.. पक्षी माना जाता है.. किन्तु....सच तो ये है कि... समस्त नभ -चारी पक्षियों में कौआ ही सबसे....बुद्धिमान पक्षी होता है...सिखाए जाने पर मनुष्य की भाषा भी बोल सकता है.... और स्मरण -शक्ति इतनी तेज कि कई महीनों तक पहचान लेता है अपने दुश्मनों को......
एकता के मामले में भी... कोई दूसरा पक्षी इसका सानी नहीं,
ख़तरा महसूस करने पर.... झट से आवाज़ दे कर मित्रों को बुला लेते हैं कौऐ... यहाँ तक कि... अलग अलग शत्रुओं के लिए अलग अलग आवाजें भी निकालते हैं.. ताकि मित्रगण समय की नाज़ुकता को.. जल्द ही समझ जायें....
कौओं की प्रकृति स्थानांतरण की कदापि नहीं होती...
अगर मौसम का प्रकोप न हो... तो कौऐ अपने रहने का स्थान नहीं बदलते. ऐसा कहा जाता है कि.. कौऐ.. आस -पास या एक ही पेड़ पर हर साल.. घोंसला बनाते हैं और हाँ...एक विशेष बात.... अपने
पूरे जीवन काल में...ज्यादातर कौऐ एक ही...मादा कौऐ से सम्बन्ध बनाते हैं, पर हाँ... थोड़ी बहुत चीटिंग... तो इन में भी चलती है....
भोजन के मामले में कौऐ... सर्वाहारी... होते हैं.....शाक, सब्जी रोटी, दाल चवाल, मांस, कीड़े -मकोड़े सभी कुछ खा लेते हैं... लेकिन
इसके बावजूद भी कौआ.. एक "अतृप्त प्राणी " माना जाता है... और
भोजन कराने की खुशी तो.... अतृप्त को खा