खुशनुमा लम्हों को याद करने बैठे कोई,
और दोस्तों का ज़िक्र न हो...ये मुमकिन कहाँ?
जन्नत को ढूंढना है ग़र, झाँकिये किसी दिल में जा कर,
ये वो मंज़र है जो सिर्फ दोस्तों की धड़कनों में सुनाई देता है.
बस दोस्त ही हैं..जो मांगते हैं दुआ सलामति की...
दुश्मन तो चाहतें हैं... आपस में ज
Read More! Earn More! Learn More!