
वो यार यूं बदल गया अफ़सोस है बहुत
बादल था काला टल गया अफ़सोस है बहुत ।।
रिश्ता तो रेत जैसा न था अपने दरमियाँ
फिर कैसे ये फिसल गया अफ़सोस है बहुत ।।
इज़हार ए इश्क़ उसने किया आजिजी के साथ
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वो यार यूं बदल गया अफ़सोस है बहुत
बादल था काला टल गया अफ़सोस है बहुत ।।
रिश्ता तो रेत जैसा न था अपने दरमियाँ
फिर कैसे ये फिसल गया अफ़सोस है बहुत ।।
इज़हार ए इश्क़ उसने किया आजिजी के साथ