पतझड़'s image

शाख़ से पत्ते गिरे, गिर के हुए तितर बितर,

बेरंग, बेसबब हुए, पतझड़ का था ये कहर.

ज़िन्दा हुँ, पर बे-हरकत हुँ, या समेट लेता इन पत्तों को मैं.

ना होने देता दूर, अपने आपसे अपनों को मैं.

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