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ख़ुमारी ए दौलत ना शोहरत का नशा...
इन्सान हूँ इंसानियत की तलब है
किसी खुदाई का तलबगार नहीं हूँ,
ख़ुमारी ए दौलत ना शोहरत का नशा
अबतक किसी का ख़तावार नहीं हूँ,
ख़िदमत ए वालिदैन फ़र्ज़ है मुझ पर
सिवाय औरो का तीमारदार नहीं हूँ,
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