
कोरोना कालकूट विष बन के बरस पड़ा
समस्त संसार इसके आगे विवश खड़ा,
खेल मौत का यह खेलता फिर रहा इधर-उधर
मृत्यु तांडव हो रहा नज़र ले जाओ तुम जिधर,
अच्छे-अच्छों को इसने किया बिलकुल ही पस्त,
कभी न होने वालों का भी होने लगा सूर्य अस्त,
गली, गगन, सदन, भवन को सुनसान कर दिया,
मौत के आतंक से घरों को इसने भर दिया
दो
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