
चोट खाए हुए हैं इधर चारागर क्यूँ नहीं आते
भटक रहे इधर -उधर यायावर घर क्यूँ नहीं आते
अरसे से मुंतज़िर बैठे हैं शिफ़ा
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चोट खाए हुए हैं इधर चारागर क्यूँ नहीं आते
भटक रहे इधर -उधर यायावर घर क्यूँ नहीं आते
अरसे से मुंतज़िर बैठे हैं शिफ़ा