
खुद चराग़ अंधेरों को चहने लगे हैं
जब से लोग उन को बुझाने लगे हैं
बसर कर रहे हैं लोग अंधेरे घरों में
उजालों से वो अब घबराने लगे हैं
मुद्दत हुई कि दिया भी नहीं जला
रौशनी को आने में ज़माने लगे हैं
सबब उजालों के खौफ
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खुद चराग़ अंधेरों को चहने लगे हैं
जब से लोग उन को बुझाने लगे हैं
बसर कर रहे हैं लोग अंधेरे घरों में
उजालों से वो अब घबराने लगे हैं
मुद्दत हुई कि दिया भी नहीं जला
रौशनी को आने में ज़माने लगे हैं
सबब उजालों के खौफ