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तहरीर-ए-इबारत में नहीं मुमकिन दर्दे-दिल को बयाँ करना

तहरीर-ए-इबारत में नहीं मुमकिन दर्दे-दिल को बयाँ करना

बातें हैं सब बे-मानी दर्द-ए-पिन्हा की

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