
दुनिया-जहाँ के रंजो-ग़म भुला सके वो मय नहीं बनी
मुकम्मल तमाम ख़्वाहिशें करा सके वो शय नहीं बनी
सरज़मी के सिवाय बहिश्त नहीं बन
Read More! Earn More! Learn More!
दुनिया-जहाँ के रंजो-ग़म भुला सके वो मय नहीं बनी
मुकम्मल तमाम ख़्वाहिशें करा सके वो शय नहीं बनी
सरज़मी के सिवाय बहिश्त नहीं बन