सबको उनके चाहने वाले कहीं-न-कहीं खैर मिल जाते हैं
गैरों में भी अपने और अपनों में भी यहाँ गैर मिल जाते हैं
जिनकी चुभन के डर से बच कर निकलना चाहे हर कोई
कांटों में भी ख़ुश्बू-ए-चमन लुटाने
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