
मुहासिबा जख़्म -ए -जिगर का क्या करते हो बशर
किसी भी दर्द का अबतो इसपर होता नहीं है असर
येह बात और है के दबी हुई यादों को कुरेद कर तुम
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मुहासिबा जख़्म -ए -जिगर का क्या करते हो बशर
किसी भी दर्द का अबतो इसपर होता नहीं है असर
येह बात और है के दबी हुई यादों को कुरेद कर तुम