
है सदियों से मुसलसल खेल उसका जारी
आज तलक किसी को नहीं दिखा मदारी
हवाओं की सांय सांय नभ में गर्जन भारी
उफनते दरियाओं का तटो
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है सदियों से मुसलसल खेल उसका जारी
आज तलक किसी को नहीं दिखा मदारी
हवाओं की सांय सांय नभ में गर्जन भारी
उफनते दरियाओं का तटो