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होती नहीं मयस्सर दुबारा चादर ईमान की

गांठ कसकर बांध लो बशर बात एक ज्ञान की
मैली न होने देना किसीसूरत सूरत पहचान की

भूलेसे भी दाग जो लगा लिया उजली हयात में
होती नही

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