क़ायदा है एक हयात ए मुस्त'आर का
फल हमेशा मीठा होता है इंतज़ार का
दस्तूर भी है मुआसरे और परिवार का
हिस्सा कहींभी जाता नहीं हक़दार का
पकती नहीं है सरसों हथेली में ''बशर"
मुनाफ़ा सब्र से
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हिस्सा कहींभी जाता नहीं हक़दार का
पकती नहीं है सरसों हथेली में ''बशर"
मुनाफ़ा सब्र से