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चालाकचतुर बावलागेला आदमी

अकेले में मेला और मेले में अकेला आदमी
बे - खुदी में हुआ इस क़दर अलबेला आदमी

हारकर कभी जीतकर रुठकर कभी प्रीतकर
इस ज़िन्दगी को खेल समझकर खेलाआदमी

दुनिया की तिज़ारत में ज़

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