शर्म से नीले पड़े हैं अधर उसके आज भी
यूं तो चूमे हुए उनको ज़माना हो गया।
उसको मिलने का बहुत था मन तो आया
किताबों की अदला बदली बस बहाना हो गया
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शर्म से नीले पड़े हैं अधर उसके आज भी
यूं तो चूमे हुए उनको ज़माना हो गया।
उसको मिलने का बहुत था मन तो आया
किताबों की अदला बदली बस बहाना हो गया