झुक तो गया हूं मैं इतना ज़्यादा
मुझको गिराना क्यों चाहते हो
जो कभी थी ही नहीं हम तुम में
वो दुश्मनी निभाना क्यों चाहते हो
दिल के मेरे टुकड़े कर , फिर से
नया दिल बनाना क्यों चाहते हो
मेरे घर की दीवारों से भी अपनी
त
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झुक तो गया हूं मैं इतना ज़्यादा
मुझको गिराना क्यों चाहते हो
जो कभी थी ही नहीं हम तुम में
वो दुश्मनी निभाना क्यों चाहते हो
दिल के मेरे टुकड़े कर , फिर से
नया दिल बनाना क्यों चाहते हो
मेरे घर की दीवारों से भी अपनी
त