
वो अल्हड़ उमंग, उद्दाम तरंग
उसके अंग अंग में मादक रंग
होली खेलूं यदि मैं उसके संग
डालूं मैं उस पर कौन सा रंग?
काले कुंतल अधर हैं लाल
नील चक्षु और रक्तिम गाल
स्वर्णिम देह दमकती ज्यों
सूरज को मल दिया गुलाल
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वो अल्हड़ उमंग, उद्दाम तरंग
उसके अंग अंग में मादक रंग
होली खेलूं यदि मैं उसके संग
डालूं मैं उस पर कौन सा रंग?
काले कुंतल अधर हैं लाल
नील चक्षु और रक्तिम गाल
स्वर्णिम देह दमकती ज्यों
सूरज को मल दिया गुलाल