
लेकर तिरंगा हाथ में
पहनकर कुर्ता खादी
चलो निकल पड़ते हैं लेने
एक नई आज़ादी ।
आज़ादी नफ़रत के तीरों से
गाल बजाते वीरों से
और निकम्मे नेताओं की
छपी हुई तस्वीरों से ।
मुझे चाहिए आज़ादी
बेमतलब कोरे नारों से
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लेकर तिरंगा हाथ में
पहनकर कुर्ता खादी
चलो निकल पड़ते हैं लेने
एक नई आज़ादी ।
आज़ादी नफ़रत के तीरों से
गाल बजाते वीरों से
और निकम्मे नेताओं की
छपी हुई तस्वीरों से ।
मुझे चाहिए आज़ादी
बेमतलब कोरे नारों से