![बेखबर दिल's image](/images/post_og.png)
तमाम जिस्म पर उम्र का असर है,
सिर्फ मेरा दिल इससे बेखबर है।
वो कभी बचपन कभी जवानी में रहता है
बढ़ती उम्र को कर नज़र अंदाज,
रेत में ,सूखते दरिया सा बहता है।
बुझती आंखों को चमका देता है देखकर तितलियां।
भरता है सर्द आहें जब गिरती हैं कहीं बिजलियाँ।
मुझ से हर वक्त बगावत पर आमादा रह
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