सफर's image

तय करना चाहती हूँ तुम्हारे साथ सफर उतना ही बस

जितना तय करती है


भावनाएँ मेरी...


मन से मस्तिष्क तक,

मस्तिष्क से कलम तक,

कलम से कागज तक,

कागज से तुम्हारे इन होंठों तक,

होंठों से मुस्काते कपोल तक,

कपोलों से छलकते नयनों तक,

नयनों से कोमल मन तक,

और अन्ततः तुम्हारे मन से फिर

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