आग लगी है इस सीने में, उस हिंदुत्व के मशाल सी।
क़तरा क़तरा जल उठेगा, जब लौ जलेगी मशाल सी।
आज मेरे सीने में सही, कल तेरे भी जलेगी।
तू राह पकड़ देख चला चल, यह लौ है उस मशाल की।
आग लगी है इस सीने में, उस हिंदुत्व के मशाल सी।।
है धरा ये पावन सी, है ये तुझको पुकारती।
ओढ़ लो चुनर है ये, है ये स्वाभिमान की।
हिं
क़तरा क़तरा जल उठेगा, जब लौ जलेगी मशाल सी।
आज मेरे सीने में सही, कल तेरे भी जलेगी।
तू राह पकड़ देख चला चल, यह लौ है उस मशाल की।
आग लगी है इस सीने में, उस हिंदुत्व के मशाल सी।।
है धरा ये पावन सी, है ये तुझको पुकारती।
ओढ़ लो चुनर है ये, है ये स्वाभिमान की।
हिं
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