
मैं जलाती हूँ स्वयं जल
यह मेरा स्वभाव है
करती है शीतल धरा को
यह तेरा स्वभाव है,
सूख जाता है गगन जब
फूट कर रोता है तब
अश्रुओं के उन कड़ों से
ओस तू निर्मित हो तब,
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मैं जलाती हूँ स्वयं जल
यह मेरा स्वभाव है
करती है शीतल धरा को
यह तेरा स्वभाव है,
सूख जाता है गगन जब
फूट कर रोता है तब
अश्रुओं के उन कड़ों से
ओस तू निर्मित हो तब,
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