अपराध बोध - २'s image
3K

अपराध बोध - २


घेरता बढ़ता गया 

क्षण-प्रतिक्षण यह चक्रव्यूह

मैं पड़ा रण-अस्तमित

असहाय चिर-निर्वाक ढूह

Read More! Earn More! Learn More!