![इसे आसक्ति कहूँ या अनासक्ति....'s image](/images/post_og.png)
साधु, संत और फकीर को
संसार कहता अनासक्त हैं
क्योंकि ये सांसारिकता के प्रति अनासक्त हैं
लेकिन फिर भी मेरी दृष्टि में वे अनासक्त नहीं
अनुरक्त हैं,आसक्त हैं
क्योंकि वे ईश्वर के भक्त हैं
उन्हीं के प्रति अनुरक्त हैं,आसक्त हैं
इसलिए इसे आसक्ति कहूँ या अनासक्ति.....
फिर मैं तो साधारण मनुज हूँ
गृहस्थी में , सांसारिकता में लिप्त हूँ मैं
अनुरक्त हूँ मैं,आसक्त हूँ मैं
किं
संसार कहता अनासक्त हैं
क्योंकि ये सांसारिकता के प्रति अनासक्त हैं
लेकिन फिर भी मेरी दृष्टि में वे अनासक्त नहीं
अनुरक्त हैं,आसक्त हैं
क्योंकि वे ईश्वर के भक्त हैं
उन्हीं के प्रति अनुरक्त हैं,आसक्त हैं
इसलिए इसे आसक्ति कहूँ या अनासक्ति.....
फिर मैं तो साधारण मनुज हूँ
गृहस्थी में , सांसारिकता में लिप्त हूँ मैं
अनुरक्त हूँ मैं,आसक्त हूँ मैं
किं
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