ठहरा हुआ हूँ एक पल के लिए... अभी मैं थका नहीं हूं
जीत तो मेरी मुअय्यन है बस अभी मैं ठीक से लड़ा नहीं हूँ
मेरा मुक़द्दर तो मेरे हाथों की उंगलियों में हैं
मैं कभी सितारों के चक्कर में पड़ा नहीं हूं
चल रहा हूँ मुसलसल, गिरते हुए बेशक...
मगर मेरी नाकामियों से मैं डरा
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