
वो इंतज़ार में कटती शामों को,
वो झगड़ों में सिमटती रातों को,
वो अधूरी रह गयी बातों को,
शायद भुला न पाऊँ मैं।
काश! हम मिले ही न होते।।
वो मिलने को तरसती तुम्हारी आँखों को,
वो मिन्नतें करती तुम्हारी साँसों को,
Read More! Earn More! Learn More!
वो इंतज़ार में कटती शामों को,
वो झगड़ों में सिमटती रातों को,
वो अधूरी रह गयी बातों को,
शायद भुला न पाऊँ मैं।
काश! हम मिले ही न होते।।
वो मिलने को तरसती तुम्हारी आँखों को,
वो मिन्नतें करती तुम्हारी साँसों को,