
चंचल चादर ओढ़े चांदनी की
चकोर कह रहा चाँद से
चकमक सी है चमक तेरी
चित्त है चपल देख कर तुझे
चंदन सी महक चंद्रिका से होकर
चली आती है चितचोर बनके
चुलबुल सा चहक उठा है म
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चंचल चादर ओढ़े चांदनी की
चकोर कह रहा चाँद से
चकमक सी है चमक तेरी
चित्त है चपल देख कर तुझे
चंदन सी महक चंद्रिका से होकर
चली आती है चितचोर बनके
चुलबुल सा चहक उठा है म