
कहीं जा के खो जाऊं मैं
बस यही ख़याल मँडरा रहा है
दुनिया की इस भीड़ से
इस भीड़ के रिवाज़ों से
उन बादलों के बीच
या सागर के किनारों पे
कहीं जा के खो जाऊं मैं
बस यही दिल चाह रहा है
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कहीं जा के खो जाऊं मैं
बस यही ख़याल मँडरा रहा है
दुनिया की इस भीड़ से
इस भीड़ के रिवाज़ों से
उन बादलों के बीच
या सागर के किनारों पे
कहीं जा के खो जाऊं मैं
बस यही दिल चाह रहा है