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पहली बारिश का एहसास

आज मालूम हुआ कि बारिश भी हसीन होती है

यूँही नहीं खुशनुमा ये ज़मीन होती है

ज़मीन की तरह ये भी भीग जाना चाहता है

तुम जो मिल गए हो, दिल खुद को भी सींच जाना चाहता है .......

 

रिमझिम - रिमझिम बूदें जब आती हैं

सूखी धरती को कुछ इस तरह सजाती  हैं

पत्तियां भी शाखों को सहलाती हैं

एक सुकून का मौहौल बना जाती हैं

फिर तो  बस  यादें तुम्हारी आ जाती हैं 

तेज़ धड़कनें बिना बोले बात अपनी कहलाती हैं

ख़ामोश निगाहें भी बस तुम्ही तुम को बुलाती हैं

 

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