![दोस्ती's image](/images/post_og.png)
रूठ जाऊं में तो वो मुझे मनाते थे
खुश अगर हूँ मैं तो साथ मुस्कुराते थे
मेरे लिए वो हर मुसीबत से लड़ जाते थे
वो मेरे दोस्त ही थे जो मेरा हर पल साथ निभाते थे,,
राहों में हों कांटे तो फूल बन बिछ जाते थे
लड़खड़ाने लगे कदम तो सहारा बन जाते थे
माना थोड़े कमीने थे शरारतें कर जाते थे
पर वो मेरे दोस्त ही हैं जो हर पल मेरा साथ निभाते थे,,
ज़िन्दगी की राह में सब अलग अलग हो गए
ज़िमेदारियों के बोझ में इधर उधर खो गए
मिलने जुलने का सिलसिला अब कम हो गया है
देर रात तक गप्पें मारना अब बन्द हो गया है
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