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अपने अश्कों का खरीदार भी में ही हूँ
कम्भख्त किसी और का दामन भिगातें ही नहीं !!
नसीब खेल ही तो रहा है साहब
किसी के हिस्से रोटी और किसी के भूक ही आती है !!
फर्क बस इतना है साहब
आपसे दुनिया थी और अब आ
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कम्भख्त किसी और का दामन भिगातें ही नहीं !!
नसीब खेल ही तो रहा है साहब
किसी के हिस्से रोटी और किसी के भूक ही आती है !!
फर्क बस इतना है साहब
आपसे दुनिया थी और अब आ