समर्पण's image

वर्षा की बूंदें करती है अठखेलियां,

इनसे निकलती है स्वरलहरियां

धरती पर मिलकर बनती जलधारा,

इठलाती बलखाती चलती मिलने सहेलियां।


नदियों से मिलने को आतुर जलधारा ,

इनसे म

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