लघुकथा's image

भगवान दुःख में सबकी मदद करते हैं

माधुरी अपने घर के कैम्पस में बैठी धारों धार रो रही थी,

उसको सहारा देने वाला या मन की तकलीफ़ समझने वाला

कोई नही था ,

तीन सास ससुर की इकलौती बहू थी ,उनको एक ढाई साल की बच्ची थी बच्चे के इंतजार में परिवार पति सब लोग निराश हो गये थे निराशा में ही माधुरी को ताना देना,बेटे की दूसरी शादी करने लेगे ऐसे ही प्रताड़ित करने लगे।

क्यों कि अब बच्चा नहीं होगा कुल डूब जाएगा।

माधुरी बहुत दुःखी थी जून का महीना था माधुरी बेचैनी मे

इधर उधर टहलने लगी ।

उसी समय एक सांवला

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