
खामोशी
मेरी खामोशियां ही ,
मेरी दुश्मन की तरह
सवाल बन गया खुद से,
दुशमन की तरह,
बड़ा नाज था खुद पर,
अपनी होशियारी पर,
मगर वेआवरू बन बैठे,
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खामोशी
मेरी खामोशियां ही ,
मेरी दुश्मन की तरह
सवाल बन गया खुद से,
दुशमन की तरह,
बड़ा नाज था खुद पर,
अपनी होशियारी पर,
मगर वेआवरू बन बैठे,