
इंसान सोचता है बार -बार,
क्या खोया क्या पाया,
क्या जीवन मोल भाव के,
पैगाम पर चलता है,
जीवन तो संगीत का सरगम हैं,
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इंसान सोचता है बार -बार,
क्या खोया क्या पाया,
क्या जीवन मोल भाव के,
पैगाम पर चलता है,
जीवन तो संगीत का सरगम हैं,